देखो, सखी मेरो मचलो है राघव। मांगत चन्द्र खिलौना रे लाल। देखो, सखी मेरो मचलो है राघव। मांगत चन्द्र खिलौना रे लाल।
मुरझाया हुआ जूही और मोगरे के फूल खिलती बाबुल के अँगना महकती महकाती। मुरझाया हुआ जूही और मोगरे के फूल खिलती बाबुल के अँगना महकती महकाती।
घर में घर में
मध्यांतर में मध्यांतर में
शीशे में शीशे में
क्या रिश्ता उससे मेरा है क्यूँ याद आती हर पल उसकी थम जाता दिल मेरा हैहर बातों में याद उसकी सुख दुःख ... क्या रिश्ता उससे मेरा है क्यूँ याद आती हर पल उसकी थम जाता दिल मेरा हैहर बातों मे...